मेरठ का मील का पत्थर ( मूल स्तम्भ )

mool stambh

मील के पत्थर वाला मुहावरा तो आपने सूना ही होगा। लेकिन क्या मील का पत्थर होता भी है, जी हां मील के पत्थर पहले हुआ करते थे। अंग्रेजी हुकूमत में किसी एक जगह को शून्य मान कर दूसरे शहर की दुरी को माप लिया करते थे  और उसे पत्थरो पर अंकित कर दिया जाता था। उस वक़्त दो शहरो की दुरी को किलोमीटर में नहीं मील में नापा जाता था ।

मेरठ मे लालकुर्ती इलाके मे ये मूल स्तम्भ स्थित है

एक मील में  1.61 किलोमीटर होते है ।

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