प्राचीन बिल्लेश्वर मंदिर यह प्राचीन मंदिरों में से एक है। लाखों लोगों की आस्था का केंद्र यह मंदिर सदर क्षेत्र में भैसाली मैदान के पास स्थित है। जिस स्थान पर यह मंदिर स्थापित है वहां के बारे में कहा जाता है कि यहां कभी बड़ी संख्या में बिल्व यानी बेल के पेड़ हुआ करते थे और यह क्षेत्र विल्व वृक्षों के घने जंगलों से घिरा हुआ था जिसके चलते ही इस मंदिर का नाम भी बिल्लेश्वर मंदिर पड़ा। वैसे वर्तमान में अब मंदिर के प्रांगण में एक ही विल्व यानी बेलपत्र का वृक्ष मौजूद है।
मयदानव की पुत्री मंदोदरी तालाब में स्नान करने के बाद सीधे इसी मंदिर में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करने के लिए आया करती थी। भगवान शंकर की अराधना के बाद ही मिले वरदान स्वरूप मंदोदरी का विवाह लंकाधिपति रावण के साथ हुआ था।
इस मंदिर का पुनर्निर्माण मराठा शासकों ने कराया था मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर मंदिर के भवन देखने में मराठा कालीन लगते हैं